सुखी रहे जग सारा प्रभु,
दुखिया रहे न कोय,
ऐसी विनती हम सबकी,
बाबा पूरी होय।।
बल बुद्धि विद्या तेज प्रभु,
सब के भीतर होय,
अन्न धन लक्ष्मी निरोग से,
सुखी रहे सब कोय,
महाकाल बाबा आपकी,
भक्ति करे नर नार,
रोग दोष से मुक्त करो,
विनती बारंबार।।
सहारा सदा आपका,
मिले हमें महाकाल,
नाम तेरा जपते रहे,
जय जय श्री महाकाल,
काम क्रोध मद लोभ मोह,
मन से दियो हटाय,
श्रद्धा और विश्वास की,
ज्योति दीयो जलाएं।।
त्रिविध ताप इस जगत में,
तीन भयंकर शूल,
त्रिपुरारी शिव कृपा करे,
करें इन्हें निर्मूल,
तीन दल त्रिनेत्र हैं,
तीन गुणों की खान,
जनम जनम के पाप हरो,
है भोले भगवान।।
जन्म-मरण के चक्र से,
मुक्त करें भोलेनाथ,
भव भय दुख विपदा हरे,
जाने सकल सनाथ,
हम सब शरण में है बाबा,
कालों के भी काल,
‘सत्य’ राह मिल जाए तो,
जीवन होय निहाल।।
सुखी रहे जग सारा प्रभु,
दुखिया रहे न कोय,
ऐसी विनती हम सबकी,
बाबा पूरी होय।।
लेखक – सतीश गोथरवाल ‘सत्य’।
स्वर – गजेन्द प्रताप सिंह।
संगीत / प्रेषक – विजय गोथरवाल।
9826447996