धीरज राख रे टाबरिया तेरा कष्ट मिटास्यूं रे लिरिक्स

धीरज राख रे टाबरिया,
तेरा कष्ट मिटास्यूं रे,
धीरज राख रे,
थोड़ो सो धीरज राख ले ना।।

तर्ज – धमाल।



त्रेताजुग मं जनम लियो जद,

राजा राम कुहायो हो,
इक दिण़ अैस्यो बगत फिरयो तब,
बन-बन मं भटकायो हो,
पाछा जद मेरा दिन फिरग्या,
राज वो पायो रे।।



द्वापर जुग मं कृष्ण रूप धर,

पाण्डव कुळ नै बचायो हो,
उळ्टा सीधा खेल रचाकर,
महाभारत रचवायो हो,
अपणै बंश की सत् की खातिर,
नाश करायो रे।।



मेरी करणि मैं भी भोग्यो,

टाबरिया थूं जाण ले,
थूं तो बस एक प्राणी मात्र है,
या ई मन मं ठाण ले,
करणी करी सो भोगणी पड़सी,
मतो बतायो रे।।



तिरलोकी रो नाथ कुहावूं,

सारै जग पै राज मेरो,
वक्त बडो बळवान है भाया,
जैं पै ना कोई जोर मेरो,
फिर भी सैं नै धीर बंधावूं,
जो है प्यारो रे।।



चायै जितणो वक्त बुरो व्है,

“शिव” इतणो मैं देवूं रे,
श्याम बहादुर व्है चायै जैसो,
भूखो ना रहने देवूं रे,
“घनश्याम गाडियो” कवै यो सैं को,
साथ निभायो रे।।



धीरज राख रे टाबरिया,

तेरा कष्ट मिटास्यूं रे,
धीरज राख रे,
थोड़ो सो धीरज राख ले ना।।

Upload By – Vivek Agarwal
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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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