माँ वीणा पाणी हो, विद्या वरदानी हो,
मेहरो वाली हो,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ,
अपने भक्तो की,
अपने बच्चो की तुम रखवाली हो,
मेरी माँ, ओ माँ।।
तर्ज – तू कितनी अच्छी है
नाम है जितने माता तुम्हारे,
एक रूप के हे जगदम्बे,
रूप अनेको सारे,
शारदे माँ हो तुम, लक्ष्मी माँ हो तुम,
कहीं पे काली हो,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ,जय हो माँ।।
धन दौलत मैं माँ नहीं चाहूँ,
सात सुरों का हंसवाहिनी,
वर मैं तुझसे चाहूँ,
मेरे इस जीवन की,
ये तन माँ और धन की,
तू ही माली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ,जय हो माँ।।
अँखियो की माँ प्यास बुझा दो,
देके दर्शन हे जग जननी,
ज्ञान की ज्योत जगा दो,
माँ तू शीतल है,
माँ तू निर्मल है,
तू ममता वाली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, मेरी माँ।।
माँ वीणा पाणी हो विद्या वरदानी हो,
मेहरो वाली हो,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ,
अपने भक्तो की,
अपने बच्चो की तुम रखवाली हो,
मेरी माँ, ओ माँ।।