अरजी सुणज्यो जी त्रिपुरार थे तो भूतों के सरदार

अरजी सुणज्यो जी त्रिपुरार,
थे तो भूतों के सरदार,
थारी महिमा अपरंपार,
धतूरों बोयो बन में,
धतूरों बोयो बन में,
भांगडली सरणाई रे शिव,
थारा नैना में।।



था र बैला की असवारी,

म्हाने ला ग बहोत सुप्यारी,
नाग बिराजै गल म,
धतूरों बोयो बन म,
भांगडली सरणाई रे शिव,
थारा नैना में।।



था र गौरा छ अर्धङ्ग,

शंकर नित उठ पीवो भंग,
भष्मी रमाओ तन म,
भष्मी रामाओ तन म,
धतूरों बोयो बन म,
भांगडली सरणाई रे शिव,
थारा नैना में।।



था र डम डम डमरू बाजै,

था र पगां घूघरा बाजै,
गिरजा सोहे संग म,
नारी सोहे संग म,
धतूरों बोयो बन म,
भांगडली सरणाई रे शिव,
थारा नैना में।।



अरजी सुणज्यो जी त्रिपुरार,

थे तो भूतों के सरदार,
थारी महिमा अपरंपार,
धतूरों बोयो बन में,
धतूरों बोयो बन में,
भांगडली सरणाई रे शिव,
थारा नैना में।।

Upload By – Omprakash Goswami
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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

2 COMMENTS

  1. आखरी अंतरा नही है।कृपया जोङे। सुमरो शंकरजी को नाम ,इसको गाता धन्नाराम, ओ गाता ताल स्वर में—-भांगङली सरनाई शीव थारा नैना मे———

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