मेरे सतगुरु दीनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
भरा जहां भक्ति का भंडार,
लग्या जहाँ सतगुरु का दरबार,
शब्द अनमोल सुनाते है,
मन का भरम मिटाते है,
मेरे सतगुरु दिनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
गुरु जी सत का देते ज्ञान,
जीव का हो ईश्वर में ध्यान,
वो अमृत खूब पिलाते है,
मन प्यास बुझाते है,
मेरे सतगुरु दिनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
गुरुजी लेते नहीं कुछ दान,
खुद ही रखते भक्तो का ध्यान,
वो अपना माल लुटाते है,
सभी का कष्ट मिटाते है,
मेरे सतगुरु दिनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
करो सब गुरु चरणों में ध्यान,
ये तुमसे करते भक्त बयान,
सारा दुख गुरुजी मिटाते है,
की भव से पार लगाते है,
मेरे सतगुरु दिनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
मेरे सतगुरु दीनदयाल,
काग से हंस बनाते।।
गायिका – मीनाक्षी मुकेश।
प्रेषक – प्रमोद कुमार।
8601082149
बहुत ही सुंदर sabadavli और मधुर voise है गुड लक ?