कसो तज्यो रे लाडिला भइया रे मख सिंगाजी भजन

कसो तज्यो रे लाडिला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला,
मनरंग अपराध कैला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।



मारग म तुन दर्शन दीयो,

गुरुजी आये देश में,
भली सुनाई बात,
जब लग दर्शन ना भए,
तब लग निकसे न प्राण।
मारग म तुन दर्शन दीयो,
गाय भैंस संग मिला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।



मैं अपराधी कछु ना जान्यो,

पत्ता टूटा डाल से,
ले गई पवन उड़ाय,
अब के बिछड़े कब मिले,
दूर बसेंगे जाय।
मैं अपराधी कछु ना जान्यो,
कुड़ा वचन हम बोला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।



मूंदी परघनो नगर पिपल्यो,

जैसे तरुवर पात की,
कैसी इनकी प्रीत,
एक दिन तो बिछड़ना पड़ेगा,
ये है जग की रीत।
मूंदी परघनो नगर पिपल्यो,
नही मिलग असो चेला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।



सब देवन मे देव बड़ो है,

छोड़ी गयो रे अकेला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।



कसो तज्यो रे लाडिला,

भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला,
मनरंग अपराध कैला,
भइया रे मख,
कसो तज्यो लाड़िला।।

प्रेषक – प्रमोद पटेल।
यूट्यूब पर – 1.निमाड़ी भजन संग्रह।
2.प्रमोद पटेल सा रे गा मा पा
9399299349


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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