श्री जम्भेश्वर भगवान,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है,
म्हारे चार भुजा रो नाथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
ब्रम्हा विष्णु महेश गायत्री,
उमा रमा सरस्वती सावत्री,
रिध्दी सिध्दी लाईजो साथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
राम लक्ष्मण और भरत शत्रुघ्न,
जनक दुलारी केसरी नंदन,
रिषी मुनी लाईजो साथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
कृष्ण हलदर आठों पटराणी,
गोपी ग्वाल पांडव पांचाली,
संग लाइजो कुंन्ति मात,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
कृपा कर सतगुरु जी आयजो,
सत शब्दां रो ध्यान लगायजो,
धरो शीश पर हाथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
देवी देव सकल नर नारी,
सतरी संगत में आयजो भारी,
गायणाचार्य लायजो साथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
छोगाराम जम्भैश्वर आवो,
भरी सभा में रंग बरसावो,
करां ज्ञान री बात,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
श्री जम्भेश्वर भगवान,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है,
म्हारे चार भुजा रो नाथ,
जागण रो निवतो है,
जी निवतो है।।
प्रेषक – जयप्रकाश सिँवर।
9602812689