श्याम तेरे दर का,
जो गुलाम हो जाए।
दोहा – श्याम है मेरी आत्मा,
श्याम है दिल के चैन,
श्याम नहीं जिनमे बसे,
सुने है वो नैन।
श्याम तेरे दर का,
जो गुलाम हो जाए,
सुहानी उसकी,
हर एक सुबहा शाम हो जाए,
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए।।
धनवान है जमाने में,
कोई गरीब है,
है खुश नसीब चरणों के,
जो भी करीब है,
जिसके मन मंदिर में,
तुम्हारा धाम हो जाए,
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए।।
कीमत बनाई आपने,
लाखों करोड़ की,
जिसने भी नाँव तेरे,
सहारे पे छोड़ दी,
काम हो उसका और,
तुम्हारा नाम हो जाए,
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए।।
जिसको सहारा दे दिया,
किस्मत संवर गई,
खुशियों से उसी भक्त की,
झोली भी भर गई,
नसीब जिसको भी,
भक्ति का जाम हो जाए,
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए।।
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए,
सुहानी उसकी,
हर एक सुबहा शाम हो जाए,
श्याम तेरें दर का,
जो गुलाम हो जाए।।