बिन माली कुमलावे बगीचों,
रूदन मचावे कली कली,
कठे गया म्हारा कालूराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
जन्म भूमि बिखरनीया माई,
परिहारा घर जन्म लियो,
पंडित पोथी बाछ सुनाई,
कालूराम जी नाम मिलीयो,
जीवन भर को साथ निभावे,
भगवती देवी सी नार मिली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
आंगन माई फूल खिल्या है,
शुभम्, क्रिश, मोहित खडा़,
तीन बहना री जोडी मिलगी,
बाग सरावे सभी जना,
थाकी याद मे नदियाँ बनगी,
दादा म्हारी आँखडली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
सब भाया री भुजा टूटगी,
बिछड़ गई जोडी़ माँ की,
तीनो बहना कुरलावे बीरा,
मुलके बाधा लाराकी,
कुण अब माता लाड लडावे,
कुण ओडासी चुनडली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
पोल भी सुनी आंगन सुनो,
जीभा मे कोई चाव नही,
मन का माया रूका छाया,
बडा़ बुढा की बात सही,
यमराज को हुक्म होयो जद,
घर का की ना एक चली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
ससुराल मिरगा नेडी मे,
सबका ही थे लाडकडा,
जद भी आता कालू जमाई सा,
सेवा में सब रेता खड़ा,
बहना री सब खुशीयां लुटगी,
कर्म लिखीयोडी नही टली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
दादा बिना कलाकार बिलखता,
सारा राजस्थान रा,
आप बिना अब कुछ न भावे,
खान पान सम्मान सा,
सुर सरंगी टूट गई अब,
रेगी आपकी यादडली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
आप बिराज्या जा स्वर्गा मे,
याद सतावे घणी घणी,
लिजो सम्भालो टाबर आयो,
अरज करे है “मालूनी”,
उड गया भंवरा रोती रेगी,
बागा री आ कली कली,
कठे गया म्हारा कालुराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
बिन माली कुमलावे बगीचों,
रूदन मचावे कली कली,
कठे गया म्हारा कालूराम जी,
पूछन लागी गली गली।।
प्रभूलिन भजन सम्राट कालूराम जी बिखरनिया को,
भजन डायरी की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि।
शत् शत् नमन?? ओम् शांति? ओम्??।
गायक – राजु मेवाड़ी,अर्जुन राणा।
लेखक – रामकुमार जी मालुनि।
प्रेषक – मनीष सीरवी।
(रायपुर जिला पाली राजस्थान)
9640557818