हम हार के अपनों से,
बाबा दर पे आए है,
गले अपने लगा लो ना,
तेरी शरण में आए है,
हम हार के अपनो से,
बाबा दर पे आए है।।
तर्ज – एक प्यार का नगमा है।
सब मतलब से बाबा,
रिश्तों को निभाते है,
एक ऐसी बीमारी ये,
अंधे बन जाते है,
अपनों से छल करते,
उन्हें निचा गिराते है,
गले अपने लगा लो ना,
तेरी शरण में आए है,
हम हार के अपनो से,
बाबा दर पे आए है।।
एक ऐसा समय भी था,
सब संग में रहते थे,
सुख दुःख सारे मिलकर,
बांटा किया करते थे,
लालच में वो घिरकर के,
हमें आँख दिखाते है,
गले अपने लगा लो ना,
तेरी शरण में आए है,
हम हार के अपनो से,
बाबा दर पे आए है।।
ये ऐसा कलयुग है,
जहाँ छल और बस छल है,
तेरा प्रेमी भी बाबा,
इसकी चंगुल में है,
‘निखिल’ हारे बैठा,
तेरी बाट निहारे है,
Bhajan Diary Lyrics,
गले अपने लगा लो ना,
तेरी शरण में आए है,
हम हार के अपनो से,
बाबा दर पे आए है।।
हम हार के अपनों से,
बाबा दर पे आए है,
गले अपने लगा लो ना,
तेरी शरण में आए है,
हम हार के अपनो से,
बाबा दर पे आए है।।
Singer – Nikhil Goel