आये है मुरारी खाटू की रेत में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
श्याम की महिमा भारी,
जानती दुनिया सारी,
कृष्ण से वर पाकर के बना,
कलयुग अवतारी,
पूजते नर और नारी,
श्याम की लीला न्यारी,
सुदी ग्यारस को देखो,
भीड़ खाटू में भारी,
कोई आये फागुन और,
कोई आये जेठ में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
श्याम की सुनो कहानी,
श्याम मेरा वरदानी,
दान में शीश दिया था,
बन गया शीश का दानी,
बात ये सबकी सुनता,
मांग लो झोली भरता,
दया इन की हो जाये तो,
वारे न्यारे करता,
करे नही अंतर निर्धन,
और सेठ में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
श्याम को आज मनालो,
है मौका इन्हें पटा लो,
प्रेम का भूखा बाबा,
प्रेम से इन्हें रिझा लो,
प्रेम का है दीवाना,
जानता सकल जमाना,
नारियल एक चढादो,
जो चाहे काम कराना,
चढ़ा दो सवा रुपया भेट में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
रेत मत इसको जानो,
कर्म की चाबी मानो,
अगर ये रास आ गयी,
तो बेड़ा पार ही जानो,
ये रज है पावन भाई,
जगत ने महिमा गायी,
चमक किस्मत जाती है,
जिसके माथे पर आयी,
रही श्याम सुंदर के हरदम हेत में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
आये है मुरारी खाटू की रेत में,
गुण बड़े भारी खाटू की रेत में।।
स्वर – डॉ अनिल जी शर्मा।
प्रेषक – अंकित बंसल
9996657412