बाबोसा का द्वार जहाँ,
वहाँ मेरा आशियाना,
मुझे दरबार मिला,
करूँ तेरा शुकराना,
बाबोसा का द्वार जहां।।
तर्ज – तेरे जैसा यार कहाँ।
सब जानते है क्या था,
मेरी जिंदगी में पहले,
मुझे कोन जानता था,
तेरी बंदगी से पहले,
करके कृपा मुझ पर,
दिया ऐसा नजराना,
मुझे दरबार मिला,
करूँ तेरा शुकराना,
बाबोसा का द्वार जहां।।
बदले अगर ये दुनिया,
बदले अगर जमाना,
मेरी जिंदगी के मालिक,
कही तुम बदल न जाना,
तू ही तो है साथी मेरा,
सच्चा तेरा याराना,
मुझे दरबार मिला,
करूँ तेरा शुकराना,
बाबोसा का द्वार जहां।।
तुमसे यही अभिलाषा,
जब भी मेरा जनम हो,
तेरे नाम से शुरू हो,
तेरे नाम पे खतम हो,
सामने हो जब ‘दिलबर’,
लिखू ऐसा अफसाना,
मुझे दरबार मिला,
करूँ तेरा शुकराना,
बाबोसा का द्वार जहां।।
बाबोसा का द्वार जहाँ,
वहाँ मेरा आशियाना,
मुझे दरबार मिला,
करूँ तेरा शुकराना,
बाबोसा का द्वार जहां।।
गायिका – अभिलाषा बांठिया।
लेखक / प्रेषक – दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
9907023365