पुण्य भूमि ये चित्रकूट की,
जहाँ बसे श्रीराम,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम,
तुलसी करते रामचरित में,
राम नाम का गान,
कामदगिरि में आके बसे भगवान,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
तर्ज – बार बार तोहे क्या समझाए।
दो वचनों के कारण ही,
वनवास हुआ,
ज्ञानी ऋषियों के खातिर,
बन गयी दुआ,
राम सँहारे दुष्ट जनों को,
संत भजै हरि नाम,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
जंगल की दिनचर्या,
सीखें राम लखन ,
असुरहीन कर सकें,
जल्द ही ये कानन,
जहाँ गूंज हो सत्कर्मों की,
निश्चर मिटे तमाम,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
सूपनखा के कारण,
मारे खरदूषण,
सीता हरण के बाद,
गिरे जो आभूषण,
खोजत पहुंचे ऋष्यमूक तक,
जहां मिले हनुमान,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
बाली वध सुग्रीव को,
राजा बना दियो,
अंगद को युवराज,
उसी पल बता दियो,
जामवन्त संग खोज में निकले,
सेना के बलवान,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
शिव पूजा करि रामचंद्र,
पुल बनवाए,
रावण मारि प्रभु जी,
सीता ले आए,
हुई दीवाली नगर अयोध्या,
सन्त करें गुणगान,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
पुण्य भूमि ये चित्रकूट की,
जहाँ बसे श्रीराम,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम,
तुलसी करते रामचरित में,
राम नाम का गान,
कामदगिरि में आके बसे भगवान,
बरस बिता के ग्यारह,
इसको बना गए धाम।।
Singer – Shiva Tripathi & Janhavi Vishwakarma
Lyrics – Udaybhan Tripathi
Music – Ajay Vishwakarma
Upload – Chitrakoot Music Production
अति कर्ण प्रिय भजन