हँसला साध संगत नित कर रे,
दोहा – पिंड ब्रह्मांड को खोज के,
चढ़िया अगम के देश,
श्री लादुनाथ जी महाराज को,
बार बार आदेश।।
हँसला साध संगत नित कर रे,
हरि रे नाम का हीरा चुगणा,
अलख खजाना भर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
राजा रंक बणिक सब उलज्या,
तृष्णा चाले जबर रे,
गीता वेद भागवत बाचे,
हर की नहीं है खबर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
उन्डो अथाह भवसागर भरियो,
कमल तिरे ज्यूँ तिर रे,
जीवत मरो भाई राम रस पीवो,
काया ने निर्मल कर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
सुखमण कुंची खोल घट ताळो,
ध्यान आत्मा धर रे,
अखेह मंडल में डोरी लागी,
जुग जुग जोर जबर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
नानक नाथ मिल्या गुरु पूरा,
काज सकल गया सर रे,
लादुनाथ जाग्या सत्संग में,
अमर लोक में घर रे,
हसला साध संगत नित कर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
हंसला साध संगत नित कर रे,
हरि रे नाम का हीरा चुगणा,
अलख खजाना भर रे,
हँसला भाई,
साध संगत नित कर रे।।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052