आछी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी,
ज्ञान गुटकी ओ शब्दों री गुटकी,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
राम नाम री वाणी मैं तो,
पेला ही गिट गी,
सतगुरु हाथ धरिया सिर ऊपर,
चिन्ता मिट गी,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
अनंत जन्म री भूल वासना,
भव भव में पटकी,
अब तो विरति अंतर लागी,
बायर से हटगी,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
लख चौरासी पापों की मैं,
भरली मटकी,
सतगुरु दीन दया रा दाता,
मटकी ने पट की,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
रामदास गुरु पूरा मिलिया,
दीवी सेन सत की,
समरथ राम सतगुरु सा रे शरणे,
चौरासी कटगी,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
आछी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी,
ज्ञान गुटकी ओ शब्दों री गुटकी,
आच्छी पाई ओ गुरूसा,
म्हाने ज्ञान गुटकी।।
स्वर – मोहनदासजी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052