मन रे काई करबा ने आयो देसी भजन लिरिक्स

मन रे काई करबा ने आयो,
वृथा जन्म लियो धरती पर,
जन्म लेर पछतायो।।



मिनख जमारो दियो रामजी,

प्रारब्ध से पायो,
थारी-म्हारी करता करता,
कदै न हरि गुण गायो,
मन रे कांई करबा ने आयो।।



मृग-तृष्णा में फंसग्यो भान्दू,

दौड़-दौड़ कर धायो,
कदै न प्यास मिटी न थारी,
सूखो सरवर पायो,
मन रे कांई करबा ने आयो।।



जप-तप दान कदै न कीनो,

ना कोई संत जिमायो,
सत की संगत में कदै न बेठ्यो,
ना कोई गंगा न्हायो,
मन रे कांई करबा ने आयो।।



लख-चौरासी से बचणो व्हे तो,

अब थारो अवसर आयो,
जेठू पुरी कहे समझ मन मेरा,
सतगुरू जी समझायो,
मन रे कांई करबा ने आयो।।



मन रे काई करबा ने आयो,

वृथा जन्म लियो धरती पर,
जन्म लेर पछतायो।।

प्रेषक – भंवर गिरी बच्छखेड़ा।
9521229017


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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