मेरी बिच भंवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
तर्ज – छोड़ गए बालम।
है भारी तूफ़ान डगर में,
और किनारा दूर,
काले काले बादल सर पे,
छायें हैं मजबूर,
मेरी बिच भँवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
तुम ही प्रभु दुखीयों के साथी,
आओ तुम्हें पुकारे,
दीनों के हितकारी माधव,
तन मन तुम पे वारें,
मेरी बिच भँवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
तुमने मुखड़ा मोड़ लिया क्यों,
हे घनश्याम बता दो,
नदी किनारे चातक प्यासा,
बैठा प्यास बुझा दो,
मेरी बिच भँवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
डगमग डोले जीवन नैया,
हो गई नाव पुरानी,
‘शिव’ चरणों में आय सुनाई,
अपनी करुण कहानी,
मेरी बिच भँवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
मेरी बिच भंवर में है,
मेरी नैया कन्हैया पार करो।।
स्वर – संजय मित्तल जी।
प्रेषक – संजय राठौर।
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