यहाँ आओ दामन के फैलाने वाले,
दोहा – अकाल मौत वो मरे,
जो काम करे चंडाल का,
काल उसका क्या बिगाड़े,
जो भक्त हो महाकाल का।
यहाँ आओ दामन के फैलाने वाले,
यहाँ आके भोले के दर से मिलेगा,
नही मिल सका आज तक जो कही से,
वो सावन में भोले के दर से मिलेगा।।
तर्ज – तुम्हे दिल्लगी।
कैलाश के भोले तुम रहने वाले,
भक्तों पे ऐसी कृपा करने वाले,
सावन का महीना है कृपा करदो भोले,
सावन का महीना है कृपा करदो भोले,
जल चढ़ाने आए है दर पे तुम्हारे,
यहां आओ दामन के फैलाने वाले,
यहां आके भोले के दर से मिलेगा।।
कुछ ऐसे भी दीवाने आए है दर पर,
जो दस्ते तलब तक बढ़ाते नही है,
तुम्ही भोले अपने करम को बढ़ाओ,
तुम्ही भोले अपने करम को बढ़ाओ,
नही तो इन्हे फिर कहाँ से मिलेगा,
यहां आओ दामन के फैलाने वाले,
यहां आके भोले के दर से मिलेगा।।
यहां आओ दामन के फैलाने वाले,
यहां आके भोले के दर से मिलेगा,
नही मिल सका आज तक जो कही से,
वो सावन में भोले के दर से मिलेगा।।
Singer / Lyrics – Shreshth Parashar