भक्ति जोर जबर मेरा भाई,
भक्ति करो भरम मत राखो,
भेला रमे रघुराई।।
भक्ति किदी हरिचंद राजा,
कंवर तारा रानी,
भक्ति के काज प्राणी तीनो बिकीया,
वाने शर्म नही आई,
भक्ति जोर जबर मेरा भाईं।।
भक्ति किदी मोरध्वज राजा,
शिर पर आरा चलाई,
भक्ति के काज पुत्र ने चीरियों,
वाने दया नही आई,
भक्ति जोर जबर मेरा भाईं।।
भक्ति किदी पांचों पांडव,
छटी कुंता माई,
भक्ति के काज आंबो लगायो,
पहर में धेनु छुंकाई,
भक्ति जोर जबर मेरा भाईं।।
पदम् गुरु परवाणी मिलिया,
लाडू जी सेन बताई,
गुर्जर गरीबी में कनीराम जी बोले,
गांव गोरख्या माई,
भक्ति जोर जबर मेरा भाईं।।
भक्ति जोर जबर मेरा भाई,
भक्ति करो भरम मत राखो,
भेला रमे रघुराई।।
गायक / प्रेषक – चम्पालाल प्रजापति।
मालासेरी डूँगरी 89479-15979