श्याम सुंदर सलोने कन्हैया मेरे,
दोहा – वृदावन सो वन नहीं,
नंद गांव सो गांव,
बंसी वट सो वट नहीं,
कृष्ण नाम सो नाम।
श्याम सुंदर सलोने कन्हैया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो,
ना जाया करो,
श्याम सुंदर सलोने कन्हैंया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो,
लाल मटकी भरी है घर में धरी,
लाल मटकी भरी है घर में धरी,
खुब खाया करो और खिलाया करो,
और खिलाया करो।।
बाल ग्वालो के संग में खेला करो,
और जमुना के तट पर न जाया करो,
ना जाया करो,
घर जाके गुजरियो के खेला करो,
सिधे आया करो सिधे जाया करो,
जाया करो,
श्याम सुंदर सलोने कन्हैंया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो।।
गोपियों के ग्वालों की छोरी है ये,
रंग गोरष के रंग में रंगीली हैं,
रंगीली हैं ये,
लाल बातों में ईनके न आया करो,
न आया करो,
श्याम सुंदर सलोने कन्हैंया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो।।
श्याम सुंदर सलोने कन्हैंया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो,
ना जाया करो,
श्याम सुंदर सलोने कन्हैंया मेरे,
लाल माखन चुराने ना जाया करो,
लाल मटकी भरी है घर में धरी,
लाल मटकी भरी है घर में धरी,
खुब खाया करो और खिलाया करो,
और खिलाया करो।।
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