मनै इब बैरा पाट्या जिसकी सुन ले सेठ सांवरा

मनै इब बैरा पाट्या,
जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।



कोए तनै कहे दयालु कोए लखदातार,

हारे का तु सदा सहारा देव बड़ा दिलदार,
देव मनै लाखा में छाट्या,
जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।



अपनों का बनकर के सपना सदा निभावे साथ,

जो भी तेरे दर पे आवै जावै ना खाली हाथ,
नहीं तु किसै न नाट्या,
जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।



इब के मेरे भी मन में सै आऊं फागण में,

रंग उड़ाऊं धूम मचाऊं तेरे आंगन में,
डटू ना मूल भी डाटा,
जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।



मनै अपना समझे से तो मेरे घर आ जा,

‘जालान’ भी बैठा बांट देख रा खाटु के राजा,
करे ना दूर से टाटा,
जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।



मनै इब बैरा पाट्या,

जिसकी सुन ले सेठ सांवरा,
फिर क्या का घाटा।।

गायक – दीपक सिवान।
भजन लेखक – पवन जालान जी।
9416059499 भिवानी (हरियाणा)


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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