आएँगे एक दिन लेने को यम के उड़न खटोले भजन लिरिक्स

आएँगे एक दिन लेने को,
यम के उड़न खटोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले।।

तर्ज – मिलने की तुम कोशिश।



औरो का हित स्वारथ खा गया,

सत्य की करके चोरी,
खुद अपने ही गले में बाँधी,
दुष्कर्मो की डोरी,
तब तो आँख मूंद ली थी,
अब मुंड पकड़ कर रोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले।।



गैर की मजबूरी का तूने,

अनुचित लाभ उठाया,
राम ही जाने किन दाँतों से,
उस बेकस को खाया,
तुमको ही फल खाने होंगे,
बीज पाप के बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले।।



रब ने तो नही रचा था ये जग,

जग खूनी दाढ़ो वाला,
फिर मानव के भीतर मानव,
कहाँ से आया काला
इसको तो बस वो जाने जो,
अपना हिया टटोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले।।



आएँगे एक दिन लेने को,

यम के उड़न खटोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले,
बैरी बंजारा यूँ बोले।।

गायक – मुकेश कुमार जी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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