नौकरी पक्की करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
कभी लगावे कभी भगावे,
कभी लगावे कभी भगावे,
कभी रुलावे कभी हंसावे,
कभी रुलावे कभी हंसावे,
कब तक मैं भटका करूँ,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
सांचे भगत को करता है भर्ती,
सांचे भगत को करता है भर्ती,
पापी की यहाँ दाल ना गलती,
पापी की यहाँ दाल ना गलती,
एक पापी भी भर्ती करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
जनम जनम से भटक रहा हूँ,
जनम जनम से भटक रहा हूँ,
फ़ोकट में ही घिसा रहा हूँ,
फ़ोकट में ही घिसा रहा हूँ,
अब तनखा की नक्खी करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
नौकरी तेरी है बड़ी नोक की,
नौकरी तेरी है बड़ी नोक की,
बस की नहीं ये सभी लोग की,
बस की नहीं ये सभी लोग की,
थोड़ी दया की दृष्टि करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
नौकरी एक करूँगा ठाकुर,
नौकरी एक करूँगा ठाकुर,
दूजे द्वार ना खाऊंगा ठोकर,
दूजे द्वार ना खाऊंगा ठोकर,
केवल चरणों की भक्ति करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
जो मैं नहीं हूँ नौकरी के लायक,
जो मैं नहीं हूँ नौकरी के लायक,
हूँ जो यदि मैं महानालायक,
हूँ जो यदि मैं महानालायक,
मुक्ति की जल्दी करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
नौकरी पक्की करो,
गोपाल मेरी नोकरी पक्की करो।।
स्वर – संत श्री कमलकिशोर जी नागर।