साधु भाई कहो अपना निज वासा,
दोहा – योग का अर्थ मैल है,
व्याकरण सिद्धान्त प्रमाण,
प्रथम वायु प्राण है,
वयोग अपान पिछाण।
वयोग अपान पिछाण,
प्राण सु ले मिलाव,
दोनों होव एक,
सोही वो योग कहावे।
जीव ब्रह्म रि एकता,
ज्ञान योग सु जाण,
योग का अर्थ मैल है,
व्याकरण सिद्धान्त प्रमाण।
साधु भाई कहो अपना निज वासा,
कहा से आया कहा तुम जावो,
कठे लगाई आशा।।
कैसा रंग बेरंग समजावो,
वो कैसा है साई,
को तरवर पर आप बिराजे,
खबरा कहा कि लाई।।
कौन देश है देश देशांतर,
किन बिध बोलो थे वाणी,
कोन महल की टहल करत हो,
कहो सांची सैलानी।।
जीव सरूपी किसका कहिये,
कहो कैसा अनुमाना,
पाँच तत्व तीन गुण छोड़ दो,
पीछे करो बखाना।।
जीव री खोज आय बतावो,
जति गोरख तत्सरा,
कहे कबीर सुनो जती गोरख,
कैसे पिंड रचाया।।
साधु भई कहो अपना निज वासा,
कहा से आया कहा तुम जावो,
कठे लगाई आशा।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
919024989481