आज मायरो भर दे नैनी बाई को,
दोहा – भर चुकलयो नैनी खड़ी,
उबी सर्वर तीर,
कद जानु कद आवसी,
मारो सवाल शाह बीर।
और आसरो छोड़ आसरो,
मैं लीनो कवर कन्हाई को,
हे बनवारी हे गिरधारी,
आज मायरो भर दे नैनी बाई को,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
असुर संहारण भगत उबारन,
चार वेद महिमा गायी,
ज्या ज्या भीड़ पड़ी भगता पे,
तहा तहा आय करि सहाई,
पृथ्वी लाकर श्रष्टि रचाई,
वराह हो सतयुग माही,
खम्भ फाड़ पहलाद उबारियो,
प्रकट भये खम्भा माही,
वामन होय बलि छल लीणो,
कीनो काम ठगाई को,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
कच्छ मच्छ अवतार धार ने,
सुर नर री इच्छा पूरी,
अर्ध रेन गजराज उबारियो,
गुरुड़ छोड़ पहुचे दूरी,
भस्मासुर को भस्म कियो नर,
सुंदर रूप बने हरि,
नारद की नारी ठग लिनी,
जाकर आप चढ़े चंवरी,
असुरन से अमृत ले लीनो,
रूप बना लुगाई को,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
परशुराम श्री रामचन्द्र भये,
गौतम की नारी तारी,
भीलनी के फल झूठे खाये,
शंका त्याग दिवि सारी,
कर्मा के घर खीचड़ खायो,
तरी अधम गणिका नारी,
सेन भगत साँसा मेटिया,
रूप बनायो नाई को,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
नामदेव रैदास कबिरो,
धन्ना भगत को खेत भरियो,
दुरियोधन का मेवा त्यागिया,
साग विदुर घर पान करियो,
प्रीत लगाकर गोपिया तीर गयी,
मीराबाईको काज सरियो,
चिर बढायो द्रुपत सुता को,
दुशासन को मैन हरियो,
कहे नर्सिलो सुनले सावरा,
कर ले काम भलाई को,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
और आसरो छोड़ आसरो,
मैं लीनो कवर कन्हाई को,
हे बनवारी हे गिरधारी,
आज मायरों भर दे नैनी बाई को।।
गायक / प्रेषक – श्यामनिवास जी।
9024989481
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