आम की डाली कोयल बोले,
बात बताऊं खरी खरी,
जंभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
गुरुधाम समराथल में,
नर नारी रो मेलो है,
जंभेश्वर रो ध्यान धरो,
हरदम रेवे भेलो है,
गांव गांव और नगर नगर में,
धूम मची है गली-गली,
जँभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
धन दौलत सब उम्र कमानो,
दोय घड़ी शुभ काम करो,
एड़ो अवसर हाथ नहीं आवे,
चाहे जतन हजार करो,
तन मन धन अर्पण कर दो,
गुरुधाम है आप धणी,
जँभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
आप बसे बैकुंठ धाम में,
भगता पर थे मेहर करो,
ज्ञान ध्यान के तुम हो सागर,
सुखी नदियां नीर भरो,
प्यासी बगीया मे रस भर दो,
हो जावे वह हरि भरी,
जँभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
आपकी शरणे जो कोई आवे,
नैया देखो पार करो,
दास सुभाष पर कृपा किजो,
बात बतावे खरी खरी,
जँभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
आम की डाली कोयल बोले,
बात बताऊं खरी खरी,
जंभेश्वर को जप ले प्राणी,
मैं समझाऊं घड़ी घड़ी।।
स्वर – खुशबू कुंभट।
प्रेषक – सुभाष सारस्वत काकड़ा।
9024909170