माखन मिश्री खावा ने,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
अरे ऊंची बैठी अधर झरोखे रे,
हे फुलडो री सहज बिसावणं ने,
मोरी गलियां खिले रंगरलियां,
हो आजो भरम मिटावण ने,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
मैं जावो जल जमना रो पाणी हे,
थे आजाइजो नावण ने,
हो तन मन री अपो बातो करोला,
मनडा री अपो बातो करोला,
मति केजो थारी माता ने,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
अरे गोपी ग्वालिनों ने,
संग मत लीजो हे,
हे नहीं है माखन खिलावण ने,
एक आथनी कोरी राखी,
हे थारे ताई भोग लगावण ने,
थे मारे घर आवो कानजी,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
हे जमना जी रे इरा तीरा हे,
थे आजाइजो धेनु चरावण ने,
हे चन्द्र सखी भजबाल कृष्ण छवि,
ओ हरक हरक गुण गावण ने,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
माखन मिश्री खावा ने,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
थे मारे घर आवो रे कानजी,
माखन मिश्री खावन ने,
थे मारे घर आवो कानजी रे।।
गायक – रामकिसन सोनी।
प्रेषक – प्रकाश पालीवाल
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