सिया रानी का अचल सुहाग रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहें।।
जब तक ले शीशहि बात रहे,
गंगा जमुना की धारा बहती रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहें।।
नित कनक बिहारी बिराज रहे,
नित भरा पूरा दरबार रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहें।।
नित बन्नी रहे नित बन्ना,
नित बन्नी बन्ना में बना रहे
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहें।।
सिया रानी का अचल सुहाग रहे,
राजा राम के सिर पर ताज रहे,
सिया रानी का अचल सुहाग रहें।।
स्वर – मैथिलि ठाकुर।
बहुत अच्छा लगा प्रेम और श्रद्धा का भजन बहुत ही अच्छा