हेली धिन घड़ी धिन भाग,
सतगुरु सा आया पावणा।।
दोहा – लाख कोस सतगुरु बसे,
सुरति देवो पटाय,
तुरीय शब्द असवार हैं,
पल आवे छिन जाय।
हेली धिन घड़ी धिन भाग,
सतगुरु सा आया पावणा।।
सतगुरु घर कब आवसी ओ,
ज्यारी जोवाँ बाट,
नैण झरे हियो ऊमके रे,
ऊबी उड़ाऊ मैं काग,
सतगुरु सा आया पावणा।।
सतगुरु आया बाग में,
सूखा हरिया होय,
फूलों री फूलमाल गले में,
बाजे हैं जंगी ढोल,
सतगुरु सा आया पावणा।।
सतगुरु आया पोलिया,
लेवण बधावो जाय,
हरख उतारूँ आरती,
सैया मंगल गाय,
सतगुरु सा आया पावणा।।
सतगुरु आया चोक में,
गादी पिलंग ढलाय,
चरण खोल चरणामृत लेवां,
जन्म सफल होय जाय,
सतगुरु सा आया पावणा।।
सतगुरु मुख से बोलिया,
मीठा वचन सुणाय,
बाई अमना री विनती,
बिछड़ियोडा हंस मिलाय,
सतगुरु सा आया पावणा।।
हेली धिन घडी धिन भाग,
सतगुरु सा आया पावणा।।
स्वर – सन्त चुकी बाई जी।
प्रेषक – रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052