अब तो आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
दोहा – दुखियारी दुखी आत्मा,
दुखी कौशल्या नार,
राम लखन वनवास में,
क्यों भेज दिया भरतार।
म्हारो लक्ष्मण बीर,
बीर के लाग्यो शक्ति तीर,
अब तों आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
बेटो मेघनाथ रावण को,
बणग्यो दुशमन लक्ष्मण को,
तीर चला दियो शक्ति को,
जिसे घायल होग्यो शरीर,
अब तों आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
बैरन शूर्पणखा नहीं होती,
या विपदा नहीं फेलाती,
कोई नहीं मारो साथ निभावे,
फूट गई तकदीर,
अब तों आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
सूरज 4:00 बजे सुबह सु पेली,
सरजीवण काम करेली,
एक भरोसो तु बालाजी,
फाड़ दिखा दे चीर,
अब तों आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
बजरंगी यार पिला दिया घुटी,
लक्ष्मण की मुर्छा टूटी,
हेमराज चरण आपको चाकर,
सेवा मे राखे सीर,
अब तों आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
म्हारो लक्ष्मण बीर,
बीर के लाग्यो शक्ति तीर,
अब तो आजा रे हनुमान,
बचा ले म्हारो लक्ष्मण बीर।।
प्रेषक – महावीर दादोली
7014219558