माँ की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
काम आएगी तब माँ ही तेरे,
काम आएगी तब माँ ही तेरे,
जब मुसीबत कोई आ पड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
मां की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी।।
तर्ज – जिन्दगी की ना टूटे।
सुख के साथी है जग में सभी,
दुःख की बस एक साथी है माँ,
ठोकरें की जब जहान से मिले,
तब गले से लगाती है,
दौड़ी आती है माँ,
तेरे खातिर माँ सबसे लड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
मां की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी।।
दूध का तुझपे जो कर्ज है,
वो चुकाना तेरा फ़र्ज है,
माँ के अहसान भुला तो फिर,
सब कहेंगे तू खुदगर्ज है,
क्या तू खुदगर्ज है,
ये परीक्षा है तेरी कड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
मां की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी।।
माँ के आँचल की छैया तले,
राम और श्याम सब है पले,
माँ वो दीपक है ‘संदीप’ जो,
रात दिन घर के खातिर जले,
माँ को तू पुजले,
है दुआओं की लब पे झड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
मां की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी।।
माँ की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
काम आएगी तब माँ ही तेरे,
काम आएगी तब माँ ही तेरे,
जब मुसीबत कोई आ पड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी,
मां की ममता है रब से बड़ी,
याद रखना तू ये हर घड़ी।।
स्वर – संदीप बंसल जी।