जब जब हम दादी का,
मंगल पाठ करते हैं,
साछात धनयाणी से,
हम बात करते हैं।।
जो मंगल पाठ कराते हैं,
उनके रहते हरदम ठाठ,
जहां ये पाठ होता है,
वहां हो खुशियों की बरसात,
जब जब हम दादी की,
जयकार करते हैं,
साछात धनयाणी से,
हम बात करते हैं।।
कोई चुडला लाता है,
कोई मेहंदी लाता है,
कोई चूनडि लाता है,
कोई गजरा लाता है,
जब जब हम दादीँ का,
सिणगार करते हैं,
साछात धनयाणी से,
हम बात करते हैं।।
बधाई सबको मिलती है,
खजाना सब कोई पाते हैं,
दादी जी का कैलाशी,
मिलकर लाड लडाते हैं,
जब जब हम दादीँ की,
मनुहार करते है,
साछात धनयाणी से,
हम बात करते हैं।।
जब जब हम दादी का,
मंगल पाठ करते हैं,
साछात धनयाणी से,
हम बात करते हैं।।
– भजन लेखक प्रेषक व गायक –
श्री विकाश सुगन्ध कैलाशी।
7667542123