बरस रही है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे,
पाते हैं जो प्रभु के बंदे,
छूटन वाले छूट रहे,
बरस रहीं है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे।।
कोई पीकर बना बावरा,
कोई बैठा ध्यान करें है,
कोई घर घर अलख जगाए,
कोई चारों धाम फिरेे है,
बरस रहीं है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे।।
कोई मन की प्यास बुझाए,
कोई अपने कष्ट मिटाए,
कोई परमारथ कार्य करें,
कोई बन बाबा घूम रहे,
बरस रहीं है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे।।
कोई पिए हिमालय बैठा,
कोई पिए देवालय बैठा,
‘अरुणसिंह’ कहे राम नाम गाले,
जीवन तेरा छूट रहा,
बरस रहीं है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे।।
बरस रही है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे,
पाते हैं जो प्रभु के बंदे,
छूटन वाले छूट रहे,
बरस रहीं है राम रस भक्ति,
लूटन वाले लूट रहे।।
Upload By – Arun Singh kushwah
7477090111