बरसाने की गलियों की जब याद सताती है भजन लिरिक्स

बरसाने की गलियों की,
जब याद सताती है,
ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।

तर्ज – बाबुल का ये घर।



नैना भर भर आए,

हिचकी सी ठहर जाए,
दुरी बरसाने की,
एक पल भी ना सह पाए,
इंतजार करे श्री जी,
मेरी आहें बताती है,
सखी ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।



चली जाऊं उड़ के मैं,

बस मेरा नहीं चलता,
बरसाने की गलियों बिना,
मन मेरा नहीं लगता,
जब याद मीठी मीठी सी,
रह रह के सताती है,
तब ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।



श्री जी की किरपा बिना,

कुछ कर भी नहीं सकती,
बरसाना पहुँचे बिना,
मर भी नहीं सकती,
मुझ जैसे अधम के लिए,
श्री जी पलकें बिछाती है,
तब ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।



हरिदासी प्यासी है,

‘पूनम’ भी उदास तेरी,
‘गोपाली’ पागल को,
जन्मो से है आस तेरी,
इक झलक तुम्हे देखूं,
आँखे नीर बहाती है,
ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।



बरसाने की गलियो की,

जब याद सताती है,
ऐसा मुझे लगता है,
जैसे श्री जी बुलाती है।।

स्वर – साध्वी पूर्णिमा दीदी जी।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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