गुण रूप भरी श्यामा प्यारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
गौर वरण नीलाम्बर सोहे,
मोर मुकुट पीताम्बर सोहे,
जोड़ी पै जाऊँ मै बलिहारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
इत माथे बिंदिया सोह रही,
उत भृकुटी मन को मोह रही,
है रही रस की वरसा भारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
इत घुंघरू की झंकार बजे,
उत मुरली मस्त सुहानी,
बजे दोनो की धुन न्यारी न्यारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
इत सखियन संग विराज रही,
उत सखा की टोली साज रही,
दुलरावे श्री हरिदास दुलारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
गुण रूप भरी श्यामा प्यारी,
रस रूप भरे मेरे बाँके बिहारी।।
प्रेषक – बावरा दास जी।
8791296172