दर्द ना जाने कोई,
दोहा – काजल लागे किरकरो,
ओर सुरमो सयो नही जाय,
जिन नैना मोहन बसे,
तो दूजो किया रे समाय।
दर्द ना जाने कोई,
दर्द न जाने कोई,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
दर्द की मारी वन वन डोलु,
दर्द की मारी वन वन डोलु,
वैद्य मिल्यो न कोई,
वैद्य मिल्यो न कोई,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
हिरा री गत जोहारी जाने,
हिरा री गत जोहारी जाने,
जो कोई जोहारी होय,
जो कोई जोहारी होय,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
सूली ऊपर सेज पिया की,
सूली ऊपर सेज पिया की,
ओ सोवनो किन विद होय,
सोवनो किन विद होय,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
घायल की गत घायल जाने,
घायल की गत घायल जाने,
जो कोई घायल होय,
जो कोई घायल होय,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
दर्द न जाने कोई,
दर्द न जाने कोई,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई,
मायरी मेरो दर्द न जाने कोई।।
गायक – प्रकाश माली जी।
प्रेषक – मनीष सीरवी
9640557818