म्हारो भेरू यो मनड़े भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो,
ओ तो डम डम डमरू बजावे
भक्तो रा दुखड़ा मिटावे,
हे नाकोड़ा रा नाथ,
शरण म्हे थारो लियो,
शरणे आयोडा भक्ता ने,
थे दर्श दियो,
म्हारो भेरू यो मनडे भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो।।
तर्ज – मरुधर में ज्योत जगाय गयो।
प्रभु पार्श्व रो सेवक प्यारो,
भैरव देव है जग सु न्यारो-2,
श्रद्धा भाव से इणने ध्यावे,
बण जावे यो ऊण रो सहारो
ऊँ बम भेरवायः जो मंत्र जपे,
दुख संकट ना जी आवे कदे,
ओ तो डम डम डमरू बजावे,
भक्तो रा दुखड़ा मिटावे,
हे नाकोड़ा रा नाथ,
शरण म्हे थारो लियो,
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो,
म्हारो भेरू यो मनडे भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो।।
भेरू कलयुग रो अवतारी,
जिन्हें जाणे दुनिया सारी -2,
माँ अम्बिका रो दुलारो,
भक्तो ने लागे प्यारो,
‘अभिषेक’ भी गुणला गाय रहियो,
‘दिलबर’ भी शरणे आय गयो,
ओ तो डम डम डमरू बजावे,
भक्तो रा दुखड़ा मिटावे,
हे नाकोड़ा रा नाथ,
शरण म्हे थारो लियो,
शरणे आयोडा भक्ता ने थे दर्श दियो,
म्हारो भेरू यो मनडे भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो।।
म्हारो भेरू यो मनड़े भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो,
ओ तो डम डम डमरू बजावे
भक्तो रा दुखड़ा मिटावे,
हे नाकोड़ा रा नाथ,
शरण म्हे थारो लियो,
शरणे आयोडा भक्ता ने,
थे दर्श दियो,
म्हारो भेरू यो मनडे भाय गयो,
दिलडा में ज्योत जगाय गयो।।
गायक – अभिषेक परमार मुंबई।
लेखक – दिलीप सिंह सिसोदिया ‘दिलबर’
नागदा जक्शन म.प्र.
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