भूली गिरधर नवसर हार,
दोहा – सोरठ महला उतरी,
और झांझर के झनकार,
धूजै गढ़ रा कोंगड़ा,
ओर धूजै गढ़ गिरनार।
सोरठ राग सुहावनी,
मत छेड़ो परिवाद,
उड़ता पंछी गिर पड़े,
के उठे वैराग।
भूली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
नव दस मासा इनने गढ़ता लागो रे,
गडियो गडियो चतुर सुनार,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
हीरा हीरा मोती जिनमे तारा जड़िया रे,
पोयो रे पोयो सोने वाले तार,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
सासु ननद मारी देराणी जेठानी रे,
सब मिल देवे मने गाल,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
के तो सावरिया मारो हार बता दे रे,
नही माने पिवर पहुचाए,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
थारो तो हार रानी पड्यो पलँग पे रे,
विरदा करो मा सूं राड,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
चंद्र सखी भज बाल कृष्ण छवि रे,
ऐ हार दिनो कृष्ण मुरार,
धारी सेजा भूली नवसर हार,
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
भुली गिरधर नवसर हार,
धारी सेजा भूली नवसर हार।।
गायक – श्याम दास वैष्णव जी।
प्रेषक – पुखराज पटेल
9784417723
Nice bhajan