मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल भजन लिरिक्स

मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,
भैया भैया कह के, भैया भैया कह के,
रस प्राणों में घोल,
मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल।।



इस धरती पे और ना होगा,

मुझ जैसा हतभागा,
मेरे रहते बाण शक्ति का,
तेरे तन में लागा,
जा नहीं सकता तोड़ के ऐसे,
मुझसे नेह का धागा,
मैं भी अपने प्राण तजूँगा,
आज जो तू नहीं जागा,
अंखियो के तारे, अंखियो के तारे,
लल्ला अंखिया तू खोल,
मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल।।



बीती जाए रेन पवनसुत,

क्यों अब तक नहीं आए,
बुझता जाए आस का दीपक,
मनवा धीर गंवाए,
सूर्य निकलकर सूर्य वंश का,
सूर्य डुबो ना जाए,
बिना बुलाये बोलने वाला,
बोले नहीं बुलाये,
चुप चुप रहके, चुप चुप रहके,
मेरा धीरज ना तोल,
मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल,
मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल।।



मेरे लखन दुलारे बोल कछु बोल,

मत भैया को रुला रे बोल कछु बोल,
भैया भैया कह के भैया भैया कह के,
रस प्राणों में घोल,
मेरे लखन दुलारें बोल कछु बोल।।

स्वर – श्री रविंद्र जी जैन।


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

6 COMMENTS

  1. सादर प्रणाम
    हमारा सबसे अच्छा भजन है बहुत बहुत आभार आपका जो आप ने किसका लेरिक्स दिया ,,???

  2. आपको सादर नमस्कार।
    यह ऐसा भजन है जो सुनने के साथ स्मरण हो गया।
    जय श्री राम

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