अपने अंतरमन में गुरु का सुमिरन कर ले भजन लिरिक्स

अपने अंतरमन में,
गुरु का सुमिरन कर ले,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।

तर्ज – ये रेशमी जुल्फें।



ध्यान चरणों में गुरु के,

लगाते रहो,
सेवा करते रहो,
किरपा पाते रहो,
हर लेंगे अज्ञान तेरा,
परकाश ज्ञान की भर देंगे,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।



चाहो मुक्ति तो सद्गुरु,

बना लीजिए,
गुरु से आज्ञा ले जीवन में,
काम कीजिए,
जन्म-मरण के बंधन से,
छुटकारा दिलवायेंगे,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।



जाने किस पुण्य से ये,

नर तन मिला,
गुरु की किरपा से उजड़ा,
चमन ये खिला,
“परशुराम”तू सौंप गुरु को,
जीवन की पतवार को,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।



अपने अंतरमन में,

गुरु का सुमिरन कर ले,
फिर सँवर जाएगी,
ये तेरी जिन्दगी।।

लेखक एवं प्रेषक – परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानस-मण्डल, वाराणसी।
मो-9307386438


 

Previous articleमेरे शीश के दानी का सारे जग में डंका बाजे भजन लिरिक्स
Next articleमात पिता गुरु प्रभु चरणों में धर ले मनवा ध्यान लिरिक्स
Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here