ओ मन चल वृन्दावन चलवे मना,
एथे ओह नजारा नही मिलना,
ओह एथे वह नजारा नही मिलना,
ओह एथे प्रीतम प्यारा नही मिलना,
ओह मन चल वृन्दावन चल वे मना,
एथे ओह नजारा नही मिलना।।
ओह किथे मिलनगे बाँके बिहारी,
संग होवेगी राधा प्यारी,
(किर्तन-) हो राधा राधा राधा राधा,
श्री राधा राधा राधा राधा,
ओह किथे मिलनगे बाँके बिहारी,
संग होवेगी राधा प्यारी,
हुन गुरु चरणा विच लग वे मना,
बिन सतगुरु प्यारा नही मिलदा,
मन चल वृन्दावन चल वे मना,
एथे ओह नजारा नही मिलदा।।
गोबिन्द मेरे,,,,,गोपाल मेरो,
गोबिन्द मेरे,,,,,गोपाल मेरो।।
ओ मन चल वृन्दावन चलवे मना,
एथे ओह नजारा नही मिलना,
ओह एथे वह नजारा नही मिलना,
ओह एथे प्रीतम प्यारा नही मिलना,
ओह मन चल वृन्दावन चल वे मना,
एथे ओह नजारा नही मिलना।।
स्वर – श्री हित अंबरीश महाराज जी।
प्रेषक – राज कपूर।
(हरे कृष्ण भक्ति हट्ट)संकीर्तन मण्डल।
+919810035714
पावन पावन अति मनभावन ????