इस बेटे के घर आजा हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
संकट ने घैरी स घाली,
मन्नै कती यो बिठा रहया ठाली,
मेरे सिर पे गदा घुमाज्या हो बाबा,
टूटे जा अंगड़ाई,
इस बेटे के घर आज्या हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
तेरी ज्योत जगाऊंं बाबा,
और रोट लगाऊँ बाबा,
तू आके भोग लगा जा हो बाबा,
जब हो मन की चाही,
इस बेटे के घर आज्या हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
मन्नै कर लिए यत्न भतेरे,
पूजा पाठ के जपन भतेरे,
मेरी नीत भजनोंं में लाज्या हो बाबा,
तन पे अँधेरी छाई,
इस बेटे के घर आज्या हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
बाबा तेरा सोनू भगत पुजारी,
लावे चौंकी गांव बुराड़ी,
गुण कप्तान शर्मा गाज्या हो बाबा,
करता तेरी कविताई,
इस बेटे के घर आज्या हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
इस बेटे के घर आजा हो बाबा,
क्युं तन्नै देर लगाई।।
प्रेषक – राकेश कुमार।
खरक जाटान(रोहतक)
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