जय हो जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली भजन लिरिक्स

जय हो जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली,
विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया,
तेरा वध करने वाला तो गोकुल में है,
कंस को ये बताना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली।।

तर्ज – हाल क्या है दिलों का ना।



मास भादो का था थी तिथि अष्टमी,

कंस के पाप से त्रस्त थी ये जमी,
महामाया बनी मायापति की बहन,
रूप शिशु का बनाना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली,
विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली।।



लाल वासुदेव का आठवी जानकर,

जब पटकने चला कंस शत्रु मानकर,
उस पापी दुराचारी के हाथ से,
आपका छूट जाना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली,
विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली।।



भूमि का है अहम् श्रष्टि की चाल में,

पूजे ‘देवेन्द्र’ संग दुनिया कलिकाल में,
दर्शन ‘कुलदीप’ को शक्तिरूपा तेरा,
विंध्याचल में दिखाना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली,
विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली।।



जय हो जय हो तुम्हारी माँ विंध्याचली,

विंध्य पर्वत पे आना गजब हो गया,
तेरा वध करने वाला तो गोकुल में है,
कंस को ये बताना गजब हो गया,
जय हों जय हों तुम्हारी माँ विंध्याचली।।

Singer – Devender Pathak Ji


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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