नाव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई,
जब मैं रोया श्याम के आगे,
पल में भंवर से पार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई।।
तर्ज – रात कली एक ख्वाब में।
जिनको भरोसा सांवरिये पे,
रहता सदा ही अटल है,
हर मुश्किल से वो लड़ जाते,
होंसला इनका प्रबल है,
चाहे हो बाजी जितनी बड़ी भी,
उनकी कभी ना हार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई,
जब मैं रोया श्याम के आगे,
पल में भंवर से पार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई।।
था बेसहारा किस्मत का मारा,
हरदम ठोकर खाई,
कदम कदम पर गिरता रहा मैं,
दिल ने आस गंवाई,
पकड़ा जो इसने हाथ मेरा फिर,
जग की ना दरकार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई,
जब मैं रोया श्याम के आगे,
पल में भंवर से पार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई।।
भटके क्यों प्यारे राहों से अपनी,
श्याम की राह पकड़ ले,
जितनी भी बातें दिल में छुपी है,
आजा श्याम से कर ले,
सारे जहां में इनसी ना ‘निर्मल’,
दूजी कोई सरकार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई,
जब मैं रोया श्याम के आगे,
पल में भंवर से पार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई।।
नाव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई,
जब मैं रोया श्याम के आगे,
पल में भंवर से पार हुई,
नाँव मेरी मजधार में आई,
और लहरों से हार गई।।
स्वर – संजू शर्मा जी।
Jai Shree Shyam