जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
भोले भंडारी चंदा के धारी,
भोले भंडारी त्रिनेत्र धारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा।।
तर्ज – श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी।
ऊँचे कैलाश पे डेरा है डाला,
अद्भुत अनुपम रूप निराला,
गंगा जल से खुश हो जाते,
जिसने शिवलिंग पर है डाला,
भक्तो की सारी विपदाएँ टाली,
भक्तो की सारी विपदाएँ टाली,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा।।
असुरो को भी वर दे डाले,
शिव शंकर मेरे भोले भाले,
ब्रम्हा को वेद दिए रावण को लंका,
शिव शम्भु तेरे खेल निराले,
भर दी है जिसने झोली पसारी,
भर दी है जिसने झोली पसारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा।।
पार्वती के संग विराजे,
गणपत कार्तिक गोद में साजे,
तेरी महिमा जग से निराली,
तीन लोक में डंका बाजे,
चरणों में झुकती श्रष्टि है सारी,
चरणों में झुकती श्रष्टि है सारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा।।
जय भोले शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
भोले भंडारी चंदा के धारी,
भोले भंडारी त्रिनेत्र धारी,
देवो के देवा हे महादेवा,
जय भोलें शंकर जय गंगाधारी,
देवो के देवा हे महादेवा।।
स्वर – राकेश जी काला।