जय हो भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।
माथे पे तेरे चंदा साजे,
हाथ में डमरू डम डम बाजे,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
बलिहारी जाऊं कैलाशी,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
बाएं अंग तेरे गिरिजा सोहे,
दाएं गजानन मन को मोहे,
नंदी के तुम असवार,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
जटा में तेरे गंगा साजे,
भुत प्रेत तेरे आगे नाचे,
हो रही जय जयकार,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
भांग धतूरे का भोग लगाए,
डम डम डम डम डमरू बजाए,
भक्तो के पालनहार,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
ये सारा जग संसार है तेरा,
कैलाश पर्वत के ऊपर बसेरा,
महिमा है अपरम्पार,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
माथे पे तेरे चंदा साजे,
हाथ में डमरू डम डम बाजे,
जय हों भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
मैं वारि जाऊं कैलाशी,
बलिहारी जाऊं कैलाशी,
जय हो भोलेनाथ,
मैं वारि जाऊं कैलाशी।।
स्वर – सौरभ मधुकर।