मोहे भा गया बंशीवाला,
बन गयी जोगनिया ।
श्लोक – कागा सब तन खाइए,
मेरो चुन चुन खाइए मास,
दो नैना मत खाइए,
जामे हरी मिलन दी आस।।
तर्ज – मुझे एक पल चैन ना आये
मोहे भा गया बंशीवाला,
बन गयी जोगनिया,
बनी मैं जोगनिया।
वो काली कामली वाला,
बन गयी जोगनिया,
बनी मैं जोगनिया।।
मुस्काये मीठा बाँकी अदाए,
नैनो से जादू तीर चलाए,
वो जो माखन खाने वाला,
बन गयी जोगनिया
बनी मैं जोगनिया।
मोहे भा गया बंशिवाला
बन गयी जोगनिया
बनी मैं जोगनिया।।
कुंज गलिन में,
यमुना के तट पे,
फोड़े गगरिया चले वो मटक के,
वो गैया चराने वाला
बन गयी जोगनिया
बनी मैं जोगनिया
मोहे भा गया बंशिवाला
बन गयी जोगनिया
बनी मैं जोगनिया।।
केशरिया श्याम तिलक लगाए,
शोभा मुकुट की बरनी ना जाए,
लहरी वो नंद का लाला,
बन गयी जोगनिया,
बनी मैं जोगनिया।।
मोहे भा गया बंशीवाला
बन गयी जोगनिया
बनी मई जोगनिया।
वो काली कामली वाला
बन गयी जोगनिया
बनी मैं जोगनिया।।