कैलाश वासी शिव सुख रासी सुनते नाथ सबकी करुणा लिरिक्स

कैलाश वासी शिव सुख रासी,
सुनते नाथ सबकी करुणा,
दिल की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



एक दिन दानव सुर सब मिलकर,

शिर सिंधु का मंथन किया,
रत्न शिरोमणि निकले चोवदा,
एक एककर बांट दिया,
इमरत धारण कियो देवता,
जहर हलाहल शिव ने पीया,
नीलकंठ ज्यारो नाम धराकर,
कैलाश का फिर रस्ता लिया,
भोले भंडारी शंकर का जी,
ध्यान निरंतर नित धरणा,
मन की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



अटल भक्ति भस्मासुर किनि,

बारह मास तप लगयो करण,
अंग अपना सब काट भगाया,
कैलाश छोड़ दिया दर्शन,
माँगनो वे सो मांग भक्त मैं,
तुझपे हुआ बहूत प्रसन्न,
देवू राज तोहे इंद्र लोक का,
रहे देवता सब तेरी शरण,
वर दो जिसके हाथ धरु जी,
तुरंत होव उसका मरणा,
मन की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



डिगी नित निचासर पापी की,

चाहे शंकर को मारना,
आगे आगे भागे विशंभर,
वैकुंठ धाम का लिया द्वारा,
खगपति चौकी पे बैठे,
उतरे नाग को पीन वारा,
देख शम्भू का वेश दिगम्बर,
लक्ष्मी ने मुख पट डारा,
ब्रह्मा विष्णु महेश एक है,
इनमे अंतर नही करणा,
मन की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



करुणानिधि भगवान विंष्णु ने,

तुरंत मोहनी रूप धरा,
मोह लिया निशाचर मन को,
फिर बोले यू वचन करा,
भांग धतूरा पिने वाले,
उसका कौन विश्वास करे,
फिर अपने सिर हाथ धरे तो,
साच झूठ की खबर पड़े,
चकित भये शिव अपने मन में,
देखा निशाचर का मरणा,
मन की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



रत्नजड़ित कैलाश शम्भू का,

मणि जड़त उनके साजा,
भांग धतूरा हरिया हरिया,
सब पक्षी रहते ताजा,
वाहन है ज्यारो श्री नांदियो,
सब पशुओं मे है राजा,
कामधेनु और कल्पवृक्ष उनके,
नित बाजे डमरू बाजा,
‘हीरालाल पंचेरीलाल’ केवे,
लेलो अपने चरणा,
मन की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।



कैलाश वासी शिव सुख रासी,

सुनते नाथ सबकी करुणा,
दिल की दुविधा दूर करो,
बम भोलेनाथ का लो शरणा।।

गायक – ओम वैष्णव जी।
प्रेषक – दिनेश महाराज निम्बावत
9887907146


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Shekhar Mourya
Bhajan Lover / Singer / Writer / Web Designer & Blogger.

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