मेरी बात बन रही है,
तेरी बात करते करते,
ये रात कट रही है,
तेरा नाम जपते जपते,
मेरी बात बन रहीं हैं,
तेरी बात करते करते।।
तर्ज – चलते चलते यूँ ही कोई।
भटका बहुत जहान में,
मंजिल कभी ना पाई,
मंजिल भी मिल रही है,
मंजिल भी मिल रही है,
तेरी राह चलते चलते,
मेरी बात बन रहीं हैं,
तेरी बात करते करते।।
जीवन में थे अँधेरे,
तेरी शरण में आया,
मुझे दे रही उजाला,
मुझे दे रही उजाला,
तेरी ज्योत जलते जलते,
मेरी बात बन रहीं हैं,
तेरी बात करते करते।।
मेरा हाथ थामें रखना,
कितनी कठिन घड़ी हो,
दर आपका ना छूटे,
दर आपका ना छूटे,
‘रोमी’ से मरते मरते,
मेरी बात बन रहीं हैं,
तेरी बात करते करते।।
मेरी बात बन रही है,
तेरी बात करते करते,
ये रात कट रही है,
तेरा नाम जपते जपते,
मेरी बात बन रहीं हैं,
तेरी बात करते करते।।
स्वर – रजनीश जी शर्मा।
रचना – रोमी जी।