ये बाबा तो साथी हमारा है,
हारे का सहारा है।
कैसे दूर मैं रह पाऊँगा,
दौड़ा दौड़ा दर आऊँगा,
तेरे दर्शन करके बाबा,
किस्मत को चमकाऊँगा,
यें बाबा तो साथी हमारा हैं,
हारे का सहारा है।।
तर्ज – सूरज कब दूर गगन से।
खाटू की नगरी का,
सुन्दर बड़ा नज़ारा,
बैठा सिंहासन पे,
बाबा श्याम हमारा,
जो हार के दर पे आते,
बाबा सीने से उनको लगाते,
अपने प्रेमी से ये तो,
जीवन भर रिश्ता निभाते,
यें बाबा तो साथी हमारा हैं,
हारे का सहारा है।।
इनकी महिमा क्या कहूँ,
शब्दो में ना समाए,
भले ही डूबती नैय्या हो,
ये उसको पार लगाए,
याकी मोर छड़ी का झाड़ा,
कितनो को इसने तारा,
कैसा भी संकट आए,
हर दुख संकट से उबारा,
यें बाबा तो साथी हमारा हैं,
हारे का सहारा है।।
‘रूबी रिधम’ को जब से,
चौखट मिली है तेरी,
बिन माँगे खुशियो से,
तूने झोली भरी है मेरी,
तेरा दर ना मुझसे छुटे,
अपना रिश्ता ना टूटे,
भले जग रूठे तो रूठे,
तू श्याम कभी ना रूठे,
यें बाबा तो साथी हमारा हैं,
हारे का सहारा है।।
कैसे दूर मैं रह पाऊँगा,
दौड़ा दौड़ा दर आऊँगा,
तेरे दर्शन करके बाबा,
किस्मत को चमकाऊँगा,
ये बाबा तो साथी हमारा है,
हारे का सहारा है।।
Singer – Kanchi Bhargav